सेतु

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सेतु एक प्रकार का ढाँचा जो नदी, पहाड़, घाटी अथवा मानव निर्मित अवरोध को वाहन या पैदल पार करने के लिये बनाया जाता है।

पुल का संक्षिप्त इतिहास[संपादित करें]

पुलों का लंबा इतिहास रहा है। ज्ञात इतिहास के अनुसार पहली और दूसरी सदी में रोमनकाल की वास्तुकला में पुलों का निर्माण भी शामिल था। उस जमाने में अधिकांश पुल खाइयों के ऊपर लकड़ी से बनाए जाते थे। 12वीं सदी में ऐसे पुल बनाए जाने लगे जिनमें साथ में घर भी होते थे। ऐसा ही एक पुल 1176 में लंदन में बनाया गया था जो पत्थरों से निर्मित था।

1779 से पुलों में लोहे और इस्पात का भी इस्तेमाल किया जाने लगा। इस समय तक पुल छोटे होते थे, लेकिन समय के साथ समुद्रों के ऊपर भी पुल बनाने की जरूरत महसूस होने लगी। समुद्र के ऊपर बनाए गए शुरुआती पुलों में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को और मैरिन काउंटी को जोड़ने वाले गोल्डन गैट पुल का नाम लिया जा सकता है जिसका निर्माण वर्ष 1937 में पूरा हुआ था। 2.7 किलोमीटर लंबा यह पुल सैन फ्रांसिस्को खाड़ी के ऊपर बनाया गया है।

ओरेसंड जलडमरूमध्य के ऊपर डेनमार्क की राजधानी कोपेनहेगन और स्वीडन के शहर मैल्मो को जोड़ने वाला 7.8 किलोमीटर लंबा पुल बनाया गया।

विश्व का सबसे लंबा समुद्री पुल हाल ही में चीन में निर्मित किया गया हैं - गझोऊ ब्रिज है। गझोऊ खाड़ी के ऊपर निर्मित किया गया यह पुल 35.67 किलोमीटर लंबा है और शंघाई व निंगबो शहरों को आपस में जोड़ता है।

सेतु के प्रकार[संपादित करें]

सेतु मुख्यतः ६ प्रकार के होते हैं :

बीम सेतु[संपादित करें]

ईक बीम सेतु, कंक्रीट के पियर्स का उपयोग

बीम सेतु एक प्रकार के क्षैतिज बीम से बने सेतु होते है जो किनारों से अबटमेंट्स (एक स्पान को जोड़ने वाली वास्तु) द्वारा जुड़े होते हैं। अगर किसी सेतु बीम के अंदर एक से अधिक स्पान होते है तो उन्हे हम पियर्स के द्वरा जोड़ते हैं। सेतु बीम मुख्यतः लकड़ी या फिर लोहे के बने होते हैं। प्रत्येक बीम में एक या एक से अधिक स्पान होते हैं। इन सेतुओं में स्पान की लंबाई बहुत मायने रखती है अगर स्पान की लंबाई अधिक है तो उसकी मजबूती कम होगी। अक्सर इसकी लंबाई २५० मीटर से अधिक नहीं रखी जाती। विश्व का सबसे लंबा बीम सेतु संयुक्त राज्य अमेरिका के दक्षिणी लुइसियाना झील में पोंतचरटरायण सेतु है। इस सेतु की पूरी लंबाई ३८.३५ किलोमीटर है और इसके अंदर प्रियुक्त हर स्पान की लंबाई ५६ फीट है।

भुजोत्तोलक सेतु[संपादित करें]

क्वीबेक सेतु कनाड़ा
पियेरर प्फ्लिमलिन सेतु, एक कांटीलीवेर सेतु, निर्माण के दौरान

कांटीलीवेर सेतु कांटीलीवेर्स के प्रियोग से बनते है ये सेतु एक तरफ से कांटीलीवेर बीम से जुड़े होते है और दूसरा छोर बगेर किसी सपोर्ट के होता है ईन सेतुओ के अंदर भी बीम सेतुओ की जेसा निर्माण होता है लेकिन सेतु पर लगने वाले बल की दिशा अलग होती और ईन सेतुओ के अंदर लंबे स्पान प्रियोग किए जाते है। दुनिया का सबसे लंबा कांटीलीवेर सेतु क्वीबेक सेतु है जो की कनाड़ा में है। ईस्की कुल लंबाई ५४९ मीटर है और ईस्के अंदर प्रियोग होने वाले स्पान की लंबाई ११७ मीटर है।

चाप सेतु[संपादित करें]

अलकंट्रा सेतु स्पैन मे, निर्माण समय सन् १०३-१०६
सोलकं सेतु

आर्क सेतुओ के अंदर हर आर्क के बाद अबटमेंट्स (दो स्पान को जोड़ने के लिए) जो इसको बीम सेतु से अलग करते है क्यूकी बीम सेतु में अबटमेंट्स केवल कीनारो पर होते थे। ये सेतु पथरो के प्रियोग से बनाए जाते है एन्को बनाने की सुरुआत ग्रीको ने की थी २१० मीटर के स्पान के साथ सोलकं सेतु जो की सोका नदी के ऊपर सॉलवेनिया के सोलकं में है दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा पथर से निर्मित आर्क सेतु है ईस्का निर्माण १९०५ में हुआ था और इसके निर्माण में ५०००० टन पथर का प्रियोग हुआ था यह सेतु केवल १८ दिनो में बनकर पूरा हो गया था वही फ़र्देनबृशके सेतु दुनिया का सबसे बड़ा आर्क सेतु है। ईस्के अंदर हर स्पान की लंबाई ९० मीटर है। ईं दोनो सेतुओ में केवल इतना अंतर है कि सोलानक सेतु केवल पथर् से निर्मित सेतु है वही फ़र्देनबृशके सेतु में पथर के अलवा सीमेन्ट का भी प्रियोग किया गया है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

  • Bridges : पुलों के बारे में सर्वांगीण जानकारी